परिचय
● बाँसवाड़ा की स्थापना महारावल उदय सिंह के पुत्रमहारावल जगमाल सिंह ने की थी ।
● बाँसवाड़ा को " सौ द्वीपों का शहर" भी कहते है।
● बाँसवाड़ा का नाम यहा पर पाए जाने वाले
" बांस वृक्ष" के कारण पडा ।
प्रमुख मंदिर
त्रिपुर सुन्दरी मंदिर
● तलवाड़ा (बाँसवाड़ा) से 5 किमी दूर स्थित मन्दिर ।● इस मन्दिर को ' तुरताई माता ' का मन्दिर कहते है ।
● इस मन्दिर मे देवी की मूर्ति काले पत्थर की है ।
आर्थूणा के मन्दिर
● मन्दिर का निर्माण वागड़ के परमार राजाओ नेकरवाया था ।
● पुराना नाम उत्थूनक है ।
● यह परमार राजाओ की राजस्थानी थी ।
प्रमुख नदिया
माही
● उद्गम मेहद झील (मध्यप्रदेश ) से ।● यह नदी बांसवाडा और डुगरपुर की सीमा बनाती
है ।
● इसका प्रवाह क्षेत्र ' छप्पन का मैदान' कहलाता है।
● यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है ।
● बोरखेड़ा गांव मे इस पर 'माही बजाज सागर' बाँध
बना हुआ है ।
अनास नदी
● उद्गम आम्बेर (मध्यप्रदेश) से ।● माही नदी मे विलय होती है ।
स्वर्ण भंडार
● आस्ट्रेलिया की कम्पनी इन्डो गोल्ड ने फरवरी2007 मे की है ।
●यहा पर अनुमानत 3.85 करोड टन स्वर्ण हो सकता है ।
प्रमुख मेले
● घोटिया अम्बा मेला चैत्र अमावस्या को घोटिया,बारीगामा मे लगता है ।
प्रमुख तथ्य
● शुष्क सागवान वन यहा पर मुख्यत पाए जाते है ।● यहा पर प्रमुख तीर्थ घोटिया अम्बा माता धाम,केलपानी है ।
● कालिंजरा गांव मे ऋषभदेव का प्रसिद्ध मन्दिर है ।
● 'भगत आन्दोलन ' गुरु गोविंद गिरी ने चलाया था ।
● बाँसवाड़ा प्रजामंडल की स्थापना 27 मई , 1945
मे हुई ।
● बाँसवाड़ा के महारावल चन्द्रवीर सिंह ने राजस्थान
संघ मे विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा था
कि " मै अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हू ।"
● बाँसवाड़ा का राजस्थान संघ मे विलय 25 मार्च,
1948 को हुआ ।
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